सुख-दुख में भगवान का स्मरण: एक प्रेरक कहानी
हैशटैग: #स्मरणकीशक्ति
संक्षिप्त विवरण: एक मजदूर और ठेकेदार की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन की छोटी-छोटी खुशियों में भगवान को याद करें, ताकि दुख के पत्थर का इंतज़ार न करना पड़े। यह कहानी आभार और स्मरण की शक्ति को उजागर करती है।
निर्माण स्थल की घटना
एक निर्माणाधीन भवन की सातवीं मंजिल पर खड़ा ठेकेदार नीचे काम कर रहे मजदूर को पुकार रहा था। लेकिन निर्माण कार्य की तेज़ आवाज़ों के बीच मजदूर को ठेकेदार की आवाज़ सुनाई न दी।
मजदूर का ध्यान आकर्षित करने के लिए ठेकेदार ने एक चतुर तरकीब सोची। उसने एक 1 रुपये का सिक्का नीचे फेंका, जो ठीक मजदूर के सामने जाकर गिरा।
सिक्कों का उपहार
मजदूर ने सिक्का उठाया, अपनी जेब में रखा, और फिर से अपने काम में जुट गया। उसने ऊपर देखने की ज़रूरत भी न समझी। ठेकेदार ने अब एक 5 रुपये का सिक्का फेंका। वह भी मजदूर के पास गिरा। मजदूर ने उसे भी जेब में डाला और काम जारी रखा।
ठेकेदार ने हार नहीं मानी। उसने 10 रुपये का सिक्का फेंका। मजदूर ने वही किया—सिक्का जेब में रखा और काम में मगन रहा। वह यह न सोच पाया कि ये सिक्के कहाँ से आ रहे हैं।
पत्थर की चेतावनी
ठेकेदार अब परेशान हो चुका था। उसने एक छोटा-सा पत्थर का टुकड़ा उठाया और मजदूर की ओर फेंका। पत्थर सीधे मजदूर के सिर पर लगा। दर्द से चौंककर मजदूर ने तुरंत ऊपर देखा। तब जाकर उसकी नज़र ठेकेदार पर पड़ी, और दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई।
“मुझे पहले क्यों नहीं सुना? मैं कितनी देर से पुकार रहा हूँ!” ठेकेदार ने कहा।
“मालिक, काम में इतना डूबा था कि कुछ सुनाई ही नहीं दिया।” मजदूर ने शर्मिंदगी के साथ जवाब दिया।
जीवन का गहरा संदेश
यह छोटी-सी घटना हमारे जीवन की सच्चाई को दर्शाती है। ठीक उसी तरह, भगवान हमसे संपर्क करना चाहते हैं, हमें पुकारते हैं। लेकिन हम दुनियादारी के शोर और कामों में इतने खोए रहते हैं कि उनकी आवाज़ नहीं सुनते।
भगवान हमें छोटी-छोटी खुशियों के रूप में उपहार भेजते हैं—जैसे 1 रुपये, 5 रुपये, और 10 रुपये के सिक्के। हम उन खुशियों को स्वीकार तो कर लेते हैं, लेकिन यह नहीं सोचते कि वे कहाँ से आईं। हम भगवान का धन्यवाद करना भूल जाते हैं।
जब भगवान देखते हैं कि हम उनकी पुकार नहीं सुन रहे, तो वे एक छोटा-सा पत्थर फेंकते हैं—जिसे हम दुख, तकलीफ़, या कठिनाई कहते हैं। तब हम तुरंत ऊपर देखते हैं, भगवान को याद करते हैं, और उनकी शरण में जाते हैं।
आभार की शक्ति
यदि हम अपनी हर छोटी-सी ख़ुशी में भगवान को याद करें, उनका धन्यवाद करें, तो हमें उस पत्थर का इंतज़ार ही न करना पड़े। सुख में भगवान का स्मरण हमें दुख से बचा सकता है। जैसा कि भक्तिकाल के कवि ने कहा:
सुख में सुमिरन सब करे, दुख में करे न कोय।
जो दुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय।
आपके लिए एक सवाल
क्या आप अपनी छोटी-छोटी खुशियों में भगवान को धन्यवाद देते हैं? इस प्रेरक कहानी को शेयर करें और हमें बताएँ कि यह आपको क्या सिखाती है! 🌷
0 Comments